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इतिहास गवाह है कि जब भी शनि देव अपनी राशि कर में 
प्रवेश करते हैं तो ऐसा होता है!
कोरोना और विभिन्न महामारी के साथ सीधा संबंध
जब जब बली होकर शनि अपने घर मकर राशि मे आते हैं तब तब यदि इतिहास के चश्मे से देखें तो

👉165 ईसवी में जब शनि मकर में प्रविष्ट हुए थे, तब इतालवी प्रायद्वीप में चेचक के संक्रमण से पांच मिलियन लोगों की मौत हुई थी।

👉साल 252 में जब शनि मकर में पहुंचा, तो कहा जाता है कि ‘प्लेग ऑफ साइप्रियन’ के प्रकोप से रोम में महीनों तक हर रोज औसतन 5,000 लोगों की मौत होती रही। साल 547 में जब शनि अपनी स्वराशि में पहुंचे, मिस्र से बूबोनिक प्लेग फैला, जिसे ‘प्लेग ऑफ जस्टिनियन’ कहा गया. यह वहां से फैलते हुए कुस्तुनतुनिया पहुंच गया, जो एक ऐतिहासिक शहर है. यह रोमन बाइजेंटाइन और उस्मानी साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। बाइजेंटीनी इतिहास लेखक प्रोसोपियस के अनुसार, तब प्रतिदिन 10,000 से अधिक लोगों की मौत हो रही थी।
 👉1312 में जब शनि ने अपने घर में पग धरा, यूरोप से प्लेग ने वापसी की और इसके कहर से दुनिया भर में 7.5 करोड़ लोगों के मरने का अनुमान लगाया गया, जिसे ब्लैक डेथ कहा गया। प्लेग से 1344 से 1348 के बीच भूमध्य सागर और पश्चिमी यूरोप तक दो-तीन करोड़ यूरोपियों के मरने का अनुमान था, जो उनकी कुल जनसंख्या का एक तिहाई हिस्सा था। शनिदेव तब भी स्वराशि में ही थे।


  • 👉1666 का ग्रेट प्लेग ऑफ लंदन तब एक लाख लोगों की मौत का कारण बना था जो तब लंदन की 20 प्रतिशत आबादी थी. शनि तब भी अपनी राशि में लंगर डाले हुए थे।

 👉19वीं सदी के मध्य में चीन से तीसरी वैश्विक महामारी ने सिर उठाया, जिससे केवल भारत में एक करोड़ लोगों की मौत हो गयी थी।

👉1902 में अमेरिका के सैनफ्रांसिस्को से शुरू होकर वहां पहली बार प्लेग का कहर बरपा। तब भी शनि अपने ही घर में चलायमान थे।

👉यहां तक कि गुजरात के सूरत में जब 1994 में प्लेग की आफत आयी, तब भी शनि अपनी ही राशि में थे।
 इस समय शनि स्वयं की राशि मकर ने चक्रमण कर रहे हैं। जो अब की मारक महामारी का मुख्य कारक बन गयी, जिसे कोरोना वाइरस कहा जा रहा है। 15 मार्च से सूर्य का राशि परिवर्तन कुछ राहत देने की नाकाम कोशिश करेगा। मंगल अभी गुरु राशि धनु में चलायमान हैं। लेकिन 22 मार्च 2020 को जब मंगल शनि की राशि मकर में चरण रखेगा, मानव सभ्यता को बेचैन करेगा। तब वो शनि के संग युति करके इस महामारी के साथ कोई और अप्रिय खबर लाएगा। यह योग किसी दुर्घटना के साथ प्राकृतिक आपदा से जान-माल की हानि का संकेत दिए जा रहा है। लेकिन 29 मार्च 2020 की शाम 7 बजकर 8 मिनट पर वृहस्पति का मकर में प्रवेश शनि-मंगल के इस उबाल पर पानी डाल देगा।

शनि-वृहस्पति की युति आज के डरावने परिदृश्य में ठंडी हवा की बयार की तरह आएगी और मरहम लगाएगी। और इस महामारी की मारक तासीर में कमी आएगी। 4 मई 2020 की शाम 7 बजकर 59 मिनट पर जब मंगल शनि से पिंड छुड़ाएगा और कुंभ राशि जाएगा, विश्व की नकारात्मकता में सहसा कमी आएगी और शुभ फलों में इज़ाफ़ा होगा। और मई के मध्य परिस्थितियाँ बदल जायेंगी। सितारों का संकेत है कि इस महामारी का अंत एक झटके में हो जाएगा। तब तक सावधानी आपके कष्ट में कमी का माध्यम बनेगी l                                                                                                    👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏

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